पुलिस अधीक्षक ने कहा मामले की सूचना के बाद एसडीओ के अलाव अन्य आला अधिकारी कर रहे है मामले छानबीन
मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन को लेकर गांव में घुमाया जा रहा था प्रतिमा उसी बीच उत्पन हुआ विवाद
गढ़वा थाना क्षेत्र के लखना गांव में दुर्गा पूजा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक विशेष समुदाय द्वारा प्रतिमा रोकने से विवाद उत्पन्न हो गया है। प्रशासन के प्रयासों के बावजूद, समाचार लिखे जाने तक शाम 4:00 बजे से 8.30 बजे तक प्रतिमा वहीं खड़ी रखी गई है। जहां उसे रोका गया था।
प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। लेकिन फिर भी घटनास्थल पर दोनों पक्षों के हजारों लोग जमा हैं। एक पक्ष प्रतिमा को एक खास रास्ते से ले जाने पर अड़ा हुआ है, जबकि दूसरा पक्ष किसी भी हालत में उस रास्ते से प्रतिमा को जाने देना नहीं चाहता, जिससे स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
सूचना मिलते ही गढ़वा के अनुमंडल पदाधिकारी और एसडीपीओ मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों को समझाने के हर तरह प्रयास कर रही है। लेकिन कोई भी पक्ष प्रशासन की बात मानने को तैयार नहीं है।
एक पक्ष का कहना है कि रास्ता सार्वजनिक है। इसलिए प्रतिमा को रोकना गलत है। जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि वे प्रतिमा को उस रास्ते से नहीं गुजरने देंगे। प्रशासन ने घटनास्थल पर मजिस्ट्रेट की नियुक्ति कर दी है और भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। इधर इस मामले को लेकर तिलदाग गांव के कई प्रतिमा भी लोग बिसर्जन नही कीए है लोगो का कहना है की जब तक लखना गांव में हुई विवाद का हल नहीं होता है तब तक अपनी प्रतिमा को विसर्जन नहीं करेंगे। जबकि इधर गढ़वा में नवादा मोड़ के में स्थित प्रतिमा की विसर्जन के दौरान डिजे वाहन को पुलिस के द्वारा रोके जाने पर मूर्ति विसर्जन करने आए लोगों में आक्रोश फैल गया। लोगों का कहना था कि जब तक डीजे गाड़ी को थाना से बाहर नही निकाला जाएगा। तब तक अपनी मर्ति का विसर्जन वे लोग नहीं करेंगे। लोगों का कहना था कि यह लोग नवादा मोड़ से शांतिपूर्ण तरीके से मूर्ति लेकर रामबाण तालाब जा रहे थे। उसी दौरान पुलिस ने डीजे गाड़ी को रोक दिया। कुछ देर बाद डिजे वाहन को पुलिस ने छोड़ा तब जाकर लोग मूर्ती विसर्जन के लिए लोग ले गए।
पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार पांडे ने कहा कि रूट को लेकर दो समुदाय के बीच विवाद उत्पन्न हुआ है। सूचना के बाद एसडीओ एसडीपीओ वह अन्य आलाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की छानबीन कर रहे हैं। जल्दबाजी में कछ भी कहना उचित नहीं है।